भारत और एशिया का सबसे पुराना जल विद्युत स्टेशन शिवानासमुद्र है। शिवानासमुद्र जल विद्युत परियोजना 1902 में चालू की गई। इसकी कुल स्थापित क्षमता 42 मेगावाट है। पानी का स्रोत कावेरी नदी है और इसका बेसिन भी कावेरी नदी है।
शिवनासमुद्र जल विद्युत परियोजना का जलविद्युत बेसिन पूर्व की ओर बहने वाली नदियाँ हैं। बिजली परियोजना का निर्माण दक्षिणी जलविद्युत क्षेत्र में किया गया है और इसे 1938 में पूरा किया गया था। पावर स्टेशन का स्वामित्व कर्नाटक सरकार के पास है और इसकी ऑपरेटिंग कंपनी KPCL (कर्नाटक पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड) है।
शिवनासमुद्र जल विद्युत स्टेशन को बनाने का श्रेय मैसूर के दीवान के. शेषाद्री अय्यर को जाता है। शेषाद्री अय्यर की जल विद्युत स्टेशन बनाने के अथक प्रयासों के कारण ही सफल हो पायी। जल विद्युत स्टेशन शेषाद्री अय्यर के कई उपलब्धियों में से एक है जिसके कारण उन्हें आधुनिक बैंगलोर के निर्माता में सबसे अधिक माना जाता है।
शेषाद्री अय्यर मैसूर के तत्कालीन राजा नलवाड़ी कृष्णराजा वोडेयार के दीवान थे। कृष्णराजा वोडेयार ने जगन मोहना पैलेस में अपने सिंहासन कक्ष से बिजली चालू करके विद्युत युग की शुरुआत किया था।
शिवानासमुद्र में फ्रांसिस टरबाइन का प्रयोग किया जाता है। टर्बाइन का निर्माण बोविंग यूके (यूनिट 1 से यूनिट 6) और एस्चर वाइस स्विट्ज़रलैंड (यूनिट 7 से यूनिट 10) द्वारा किया जाता है।