आधुनिक हिंदी का जनक किसे कहा जाता है?
भारतेंदु हरिश्चंद्र का जन्म 9 सितंबर 1850 को बनारस में हुआ था। उनके पिता गोपाल चंद्र ने गुरु हरदास के उपनाम से कविता लिखी थी। भारतेंदु हरिश्चंद्र एक भारतीय कवि, लेखक और नाटककार थे। आधुनिक हिंदी साहित्य का जनक भारतेंदु हरिश्चंद्र को कहा जाता है।
भारतेंदु हरिश्चंद्र अपने महान कार्यों के लिए एक मान्यता प्राप्त कवि थे और आधुनिक भारत के सर्वोच्च हिंदी लेखकों, उपन्यासकारों और नाटककारों में से एक के रूप में भी प्रसिद्ध थे।
भारतेंदु हरिश्चंद्र ने केवल पांच वर्ष की उम्र में कविता की रचना की थी। वह बंगाली, मारवाड़ी, पंजाबी, गुजराती आदि कई भाषाओं का ज्ञान था। 18 साल की उम्र में उन्होंने बंगाली नाटक 'विद्यासुंदर' का हिंदी अनुवाद लिखा था।
1880 में बनारस में विद्वानों की एक जनसभा में आधुनिक हिंदी के लिए उनकी अपार सेवाओं के लिए 'भारतेंदु' की उपाधि से सम्मानित किया गया था।
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भारतेंदु हरिश्चंद्र की प्रमुख कविताएं भक्त सर्वज्ञ, प्रेम तरंग, मधुमुकुल, उत्तरार्ध भक्तमाल और वर्षा विनोद इतियादी है ।
भारतेंदु हरिश्चंद्र की प्रमुख नाटक वैदिक हिमसा न भवती, भारत दुर्दशा, सत्य हरिश्चंद्र और अंधेर नगरी इतियादी है।
भारतेंदु हरिश्चंद्र की पुण्यतिथि 6 जनवरी को मनाई जाती है। भारतेंदु हरिश्चंद्र का निधन 35 वर्ष की आयु में 6 जनवरी 1885 में हो गया था।