आप सभी का हमारे ब्लॉग में हार्दिक स्वागत है क्या आप जानते हैं कि हिंदी के प्रथम कवि किसे माना जाता है नहीं तो हम इस आर्टिकल में आपको बताएंगे।
हिन्दी का प्रथम कवि सरहपा को माना जाता है। सरहपा आदिकाल (अपभ्रंश) के कवि है। सरहपा से पहले कवि बाण का नाम आता है, लेकिन बाण की रचनाएँ उपलब्ध नहीं हैं।
हिन्दी के कवियों में सरहपा का स्थान मुख्य है। सरहपा का जन्म डॉ राहुल सांकृत्यायन के अनुसार 8वीं शताब्दी ग्राम राज्ञी, भागलपुर (भंगल) में हुआ था। सरहपा को सरोरुह वज्र और राहुल भद्र के नाम से भी जाना जाता है।
सरहपा को बौद्ध धर्म की वज्रयान और सहजयान शाखा का प्रवर्तक तथा आदि सिद्ध माना जाता है। सरहपा की रचना दोहाकोश में पाखंड व आडम्बर का विरोध वर्णन है।
सरहपा ने पाखण्ड व आडम्बर का विरोध कर सहज जीवन पर बल दिया था। सरहपा की कुल 32 रचनाएँ मानी जाती है, जिनमें दोहाकोश व चर्यापद सर्वाधिक प्रसिद्ध है।
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काव्य रचना शैली में चौपाई के बाद दोहा रखने की कड़वकबद्ध शैली सबसे पहले सरहपा ने ही दोहाकोश में अपनाई थी। सरहपा के शिष्य लुइपा का चौरासी सिद्धों में सबसे ऊँचा स्थान है।
सरहपा के दोहे
पाणि चलणि रअ गइ, जीव दरे ण सग्गु।
वेण्णवि पन्था कहिअ मइ, जहिं जाणसि तहिं लग्गु॥