हिन्दी का प्रथम प्रबंध काव्य किसे माना जाता है?
काव्य में एक कथा का सूत्र विभिन्न छंदों के माध्यम से जुड़ा रहे तो वह प्रबंध काव्य कहलाता है। प्रबंध काव्य काव्य की वह रचना होती हैं जिसमे कथा या घटना क्रम में चलती हैं। इन रचनाओ में कम्र बीच में नहीं टूटता है। हिन्दी का प्रथम प्रबंध काव्य पृथ्वीराज रासो को माना जाता है। यह वीर रस का हिंदी का सर्वश्रेष्ठ काव्य है।
पृथ्वीराज रासो में पृथ्वीराज चौहान के जीवन-चरित्र का वर्णन किया गया है। पृथ्वीराज रासो कवि चंदबरदाई की रचना है, जो पृथ्वीराज के अभिन्न मित्र तथा राजकवि थे।
पृथ्वीराज रासो एक बड़ी कविता है जिसे आदिकाल की रचना माना जाता है। हिंदी साहित्य को चार भागों में बांटा गया है- आदिकाल, भक्तिकाल, रीतिकाल और आधुनिककाल। साहित्य के इतिहास के इसी विकासक्रम में शुरुआती दौर को आदिकाल कहा जाता है।
पृथ्वीराज चौहान का शासनकाल 1165 से 1192 तक माना जाता है, इस दौरान उन्होंने वर्तमान राजस्थान से लेकर दिल्ली पर राज किया और इसी समय चंदबरदाई भी रचनात्मक रूप से सक्रिय थे और अपने महत्वपूर्ण ग्रंथ भी लिखे थे।
पृथ्वीराज रासो की सबसे पुरानी मौजूदा पांडुलिपि 16वीं शताब्दी की है। इस पांडुलिपि में पाठ का सबसे छोटा पाठ है, और इसकी भाषा अन्य 17 वीं शताब्दी की पांडुलिपियों में पाई जाने वाली भाषा से अधिक पुरातन है।
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पृथ्वीराज रासो का वर्तमान संस्करण कुछ क्षेत्रीय राजस्थानी विशिष्टताओं के साथ मुख्य रूप से ब्रजभाषा बोली में रचा गया है। इस भाषा को कभी-कभी राजस्थानी कविताओं की भाषा डिंगल से अलग करने के लिए पिंगल कहा जाता है।
पृथ्वीराज रासो को प्रचारित करने का श्रेय कर्नल जेम्स टोड को भी जाता है। जेम्स टाड राजस्थान में तैनात होने वाले शुरुआती ब्रिटिश अधिकारियों से एक थे।