हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास ग्रंथ किसने लिखा? | Hindi sahitya ka pratham itihas granth kisne likha

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Hindi sahitya ka pratham itihas granth kisne likha

हिन्दी इतिहास लेखन के प्रारम्भिक काल में पाश्चात्य और प्राच्य विद्वानों की प्रशंसनीय भूमिका रही है। हिंदी साहित्य का आरंभ आठवीं शताब्दी से माना जाता है।

हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास गार्सा द तॉसी ने लिखा था। गार्सा द तॉसी ने इत्स्वार द ला लितरेत्यूर ऐन्दुई ए ऐन्दुस्तानी लिखा था। हिंदी साहित्य का पहला इतिहास ग्रंथ फ्रेंच भाषा में लिखा गया था।  

इत्स्वार द ला लितरेत्यूर ऐन्दुई ए ऐन्दुस्तानी को हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास ग्रंथ माना जाता है जो वर्ष 1839 में प्रकाशित हुआ था। इत्स्वार द ला लितरेव्यूर ऐन्दुई ए ऐन्दुस्तानी ग्रंथ 1839 और 1847 में दो भागों में प्रकाशित हुई थी।

हिंदी साहित्य के ऐतिहासिक विकास को चार चरणों में विभाजित किया जा सकता है। आदि काल (प्रारंभिक काल), भक्ति काल (भक्ति काल), रीति काल (शैक्षणिक काल) और आधुनिक काल (आधुनिक काल) इतियादी। 



हिंदी साहित्य में आदि काल की शुरुआत 10वीं शताब्दी के मध्य से हुई और 14वीं शताब्दी के प्रारंभ में इसका पर्दा पड़ा। आदि काल की कविता या तो कुछ धार्मिक विचारधाराओं को उजागर करती है या पद्य-कथाओं के रूप में राजपूत शासकों और योद्धाओं के वीरतापूर्ण कार्यों की प्रशंसा करती है।

वीर काव्य आदिकाल के हिन्दी साहित्य का अभिन्न अंग था। इस अवधि के दौरान कई रासो-काव्यों का रचना किया गया था जिसमें चंद बरदाई के पृथ्वीराज रासो, दलपतिविजय के खुमान रासो, नरपति नाल्हा के विशालदेव रासो और जगनिक के परमल रासो शामिल है।
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