Kaun sa ved sabse prachin hai
सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद है। ऋग्वेद एक प्राचीन भारतीय साहित्यिक कृति है जो वैदिक साहित्य की महत्वपूर्ण रचना है। यह वेद धर्म का मूल और प्रमुख ग्रंथ माना जाता है और भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
ऋग्वेद को वैदिक काल के सबसे प्राचीन साहित्यिक कृति माना जाता है और इसे एक अनंत ज्ञान का स्रोत माना जाता है।
ऋग्वेद के अद्यातित मानसिकता, उपासना, रसों का उद्भव, धर्म और दार्शनिक विचारों की प्राचीनता इसे एक महत्वपूर्ण कृति बनाती है।
ऋग्वेद को चार सूक्तों (मण्डल) में विभाजित किया गया है, जिन्हें सूक्त कहा जाता है। पूरे ऋग्वेद में कुल 1028 सूक्त हैं, जिनमें लगभग 10,600 मंत्र हैं। प्रत्येक सूक्त में एक या अधिक मंत्र होते हैं।
मंत्रों में ऋषियों द्वारा देवताओं की प्रशंसा, यज्ञों के आयोजन, प्राणीयों की रक्षा, विज्ञान, नृत्य, सृष्टि के संबंध में विचार और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर विचार व्यक्त किए गए हैं।
ऋग्वेद में प्रमुख देवताएं अग्नि, इन्द्र, वरुण, मित्र, वायु, सूर्य, सोम, विष्णु, रुद्र, यम आदि हैं। ये देवताएं भारतीय संस्कृति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और ऋग्वेद के मंत्रों में उनकी महिमा, शक्ति और उपासना का वर्णन किया गया है।
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ऋग्वेद का महत्वपूर्ण तत्व वेदीय यज्ञ है, जो देवताओं की पूजा और समर्पण का प्रमुख माध्यम है। यज्ञों की विधियाँ, मन्त्र, और यजमान के धर्मिक और सामाजिक कर्तव्यों पर ऋग्वेद में विस्तार से चर्चा की गई है।
ऋग्वेद भारतीय संस्कृति की उच्चतम आदर्शशास्त्र माना जाता है। यह भारतीय संस्कृति, भाषा, साहित्य, धर्म, तत्वज्ञान, यज्ञ, आराधना, विज्ञान और धार्मिक आचरणों की मूल और प्राथमिक स्रोत है। ऋग्वेद में संकल्प, अभिनंदन, अनुरोध, प्रार्थना, स्तुति, आशीर्वाद और आनंद के विभिन्न रसों का उद्भव देखा जा सकता है।