भारतीय राज्य लोक सेवा आयोग (State Public Service Commission) भारतीय संविधान की महत्वपूर्ण संस्था है, जिसका उद्देश्य राज्य सरकारी नौकरियों के लिए परीक्षाएं आयोजित करना और उचित उम्मीदवारों का चयन करना होता है।
यह संस्था भारत में हर राज्य में स्थापित की जाती है। राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा भारतीय नागरिकों को विभिन्न राज्य सरकारी सेवाओं में भर्ती के लिए लागू प्रक्रिया को समन्वित और विशेषज्ञता से नियंत्रित किया जाता है।
राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों को राष्ट्रपति हटा सकता है। भारत के राष्ट्रपति को आयोग के सदस्यों को पद से निकालने का विशेष अधिकार होता है, जिससे आयोग की पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित होती है। राष्ट्रपति अपने आदेशों के माध्यम से सदस्यों के नौकरी से हटाने की शक्ति रखते हैं।
यह सुनिश्चित करता है कि आयोग के सदस्य नियमों और कानूनों का पालन करते हैं और सच्चे मन से काम करते हैं। राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाती है।
राज्य लोक सेवा आयोग भारतीय संविधान के अनुच्छेद 316 में उल्लिखित है। इसका प्रमुख कार्य राज्य सरकारी नौकरियों के लिए परीक्षाएं आयोजित करना और उचित उम्मीदवारों का चयन करना होता है। इस आयोग के सदस्यों की हटाई जाने की प्रक्रिया भी संविधान द्वारा स्पष्ट की गई है।
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राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा नियुक्ति होने वाले सदस्यों के लिए उनमें विशेष योग्यता और निर्धारित मानकों का पालन किया जाता है। इन सदस्यों की नियुक्ति राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाती है। आयोग के कार्यकाल का अवधि और सदस्यों का सेवा निर्वाचन रीति भी संविधान द्वारा निर्धारित की गई होती है।
राज्य लोक सेवा आयोग से संबंधित विविध जॉब्स जैसे राज्य पुलिस, सिविल सेवा, वन विभाग, शिक्षा विभाग, जल संसाधन, समाज कल्याण, आय, न्यायिक सेवा और अन्य आदि में नौकरियों के लिए भर्ती किया जाता है। इन नौकरियों के लिए उम्मीदवारों को भर्ती प्रक्रिया में उत्तीर्ण होने के लिए विशेष परीक्षा देनी होती है, जिसमें उनकी योग्यता, ज्ञान, और कौशल का मूल्यांकन किया जाता है।